माँ काली का एक मन्दिर जहाँ माँ बाल्य युवा व व्रध्य रूप मैं दर्शन देती हैं ]

माँ छतरपुर मध्य प्रदेश से ५ किलो मीतर दूर हम ग्राम के मार्ग पर यह भव्य मन्दिर स्थित हैं माँ काली का मन्दिर जो लोगों की आस्था का केन्द्र हैं इस मन्दिर मैं स्थित माँ काली की मूर्ती के बारे मैं जनमानस की आस्था हैं की माँ दिन के तीन पहर मैं अलग अलग रूपों मैं दर्शन देती हैं
सुबह के समय पर माँ के दर्शन कराने पर उनके मुखमंडल पर वाल्य्वस्था की छवि दिखाई देती हैं
उनके चहरे को देखने से लगता हिं की माँ वाल रूप मैं दर्शन दे रही हैं
दोपहर मैं युवती व शाम होते ही व्रध्य हो जाती हैं महाकाली के मुखमंडल मैं होने वाले इस परिवर्तन को लोग माँ की महिमा मानते हैं मन्दिर मैं
स्थित कली की मूर्ती मैं नरमुंडों की माला ऐसी लगती हैं मानो मां इस कालकाल मैं पापियों के सर काट कर नए नरमुंडों की माला पहनना चाहती हैं महाकाली की इस अदभुत छवि को देखकर लगता हैं जैसे संसार से सारे पापियों के सरों को काट कर माला बना कर पहन कर पापों का धरती से हरण कर लिया हैं
और जो शेस हैं उसको हरण कराने को जीभ लालायत हैं
यंहां आने पर मां के इस रूप के दर्शन मात्र से अनुपम शांती का अनुभव होता हैं यंहां आकर समस्त भय का नाश हो जाता हैं क्योंकी मां काली के इस विकराल रूप के देहकर अन्दर व्याप्त काम क्रोध लोभ मोह जैसी आसुरी शक्ती अपना प्रभाव खो देती हैं व इनका दमन हो जाता हैं मां काली के मन्दिर मैं हमारी मुलाक़ात महाकाली के एक साधक से मुलाक़ात हुई
जिन्होंने बताया की मां काली की साधना से भय का नाश होता है मां काली ही हैं जो कलयुग मैं दुस्त्जनों का संहार व भक्तों की रक्छा कराने को आतुर रहती हैं मां काली के पाठ से व साधना से हर मनोकामना फलीभूत होती हैं उन्होइने बताया की मैं तीन दिन से सादहना कर रकह हु साधना मैं विखन वादा भी आती हैं । साधना के असफल कराने के प्रयास आसुरी शक्तियां करती हैं लेकिन अंत मैओं उन्हें पराजय का सामना करना परता हैं मां काली की कृपा से साधक की मनोकामना पूरी होती हैं बस जरूरत हैं मन मैं द्रण विशवास व सच्ची आस्था की उन्हें अपना अनुभव बताते हुई बताया की एक अनुष्ठान मैं लगे थे की अचानक तीसरे दिन जहरीले गुहेरे ने आक्रमण किया लेकिन मां की साधना के प्रभाव से वह कुछ नहीं बिगार पाया व मां के विकराल रूप को देखकर भाग गया इस तरह मां ने मेरी एक अकाल म्रत्यु से रक्छा की
एक निजी भूमी पर यह मन्दिर स्थित हैं इस मन्दिर के पुजारी जी ने बताया की मां का मन्दिर २५०बर्स पुराना हैं यंही पहले एक प्राचीन मन्दिर था जिसे हमारे पुरखों ने नया बनवाया आगे उन्होंने बताया की इस मन्दिर में SHAAM बजे के बाद प्रवेश वर्जित हैं ऐसी मान्यता हैं शाम ६ बजे के बाद प्रवेश कराने पर कुछ भी अनिस्थ हो सकता हैं रात्री में आज भी इस मन्दिर में कोई नहीं रुक सकता हैं .साधकों की साधना स्थली और भक्तों के भय का नाश कराने वाली मां के दरवार में आने मात्र से तथा सच्चे मन से मन साफ राखह कर निश्छल मन से भावपूर्ण प्राथना कराने पर मां की कृपा से हर तरह के भय का नाश होता हैं भय नाशानी महाकाली शहर की सीमा में विराजमान हो कर शहर वासियों के भय का नाश करती हैं ।
यहीं मूर्तरूप में विराजमान रहकर दुस्तों का क्रोध से नाश कर सभी की रक्छा करती हैं ऐसी करुनामय भय नाशानी मां काली को हमारा सशत शत नमन
मां काली भय नाशानी ,रक्छक बन दे संग
सारी दुनिया में रहा ,भय न लागे अंग
भय न लागे अंग ,मुंड हो जिनके गहने
भूत पिशाच कन्हन आए ,जन्हाँ मां के हो पहरे

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